Madhu varma

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लेखनी कविता -ध्रुवतारा - बालस्वरूप राही

ध्रुवतारा / बालस्वरूप राही

यों तो कितने तारे नभ में
सब स प्यारा ध्रुवतारा।
एक जगह रहता है हरदम,
खूब चमकता रहता चमचम,
एसबी को दिशा दिखाने वाला
सारे तारों से न्यारा।
हम यह बादल से देंगे कह:
इसे छिपाए कभी नहीं वह,
भूले को पथ रहे दिखाता
इस का जगमग उजियारा।

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